Ayodhya Ram Mandir Murti Photo : अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, और अब बस लोगो को 22 जनवरी का इंतजार हैं जब मंदिर में राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। लेकिन अभी भक्तों को थोड़ा और इंतजार करना होगा क्योंकि जो तस्वीर अभी आई है उसमें भगवान का चेहरा और हाथ पीले वस्त्र यानी पीतांबर से ढका हुआ है और शरीर पर श्वेत यानी सफेद रंग के वस्त्र लिपटे हुए हैं। इस तस्वीर में भगवान के सामने निर्माण कार्य से जुड़े प्रभु भक्त और श्रमिक हाथ जोड़े भगवान का ध्यान कर रहे हैं। मूर्ति काले रंग की शालिग्राम पत्थर से निर्मित है और इस मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगराज ने तैयार किया है।
![](https://i0.wp.com/hindinewsguru.com/wp-content/uploads/2024/01/Screenshot-2024-01-21-113522-1.png?resize=284%2C384&ssl=1)
(Ayodhya ram mandir photo) मूर्ति की स्थापना में कितने घंटे लगे ?
आपको बता दें कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले भगवान राम जी की मूर्ति की गर्भगृह के अंदर रखी गई है। जानकारी के अनुसार, इस मूर्ति को स्थापित करने के लिए कम से कम 4 घंटे का समय लगा है। इस मूर्ति को स्थापित करने के लिए पूरे विधि विधान और मंत्रोच्चार का उपयोग किया गया है। राज जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने Twitter पर ऐलान करते हुए जानकारी दी है कि अयोध्या में जन्मभूमि स्थित राम मंदिर में गुरुवार के दिन 12.30 बजे राम जी की मूर्ति का प्रवेश हुआ था। बता दें कि केंद्र सरकार ने रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर 22 जनवरी को दोपहर 2.30 बजे तक आधे दिन के अवकाश का ऐलान किया है।
राम लला इस रूप में देंगे भक्तों को दर्शन
राम लाला जी की जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है उस मूर्ति की लंबाई 51 इंच है और इसका वजन 1.5 टन है। राम लला का मतलब भगवान राम का बल रूप है। इसलिए भगवान राम लाला जी की मूर्ति को उनके बाल रूप में बनाया गया है जिसमें भगवान राम को पांच साल के बच्चे के रूप में दिखाया गया है। भगवान के कोमल चरणों को पत्थर से बने कमल पर विराजमान दिखाया है। जब मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी तब भगवान कमल पर विराजमान होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हुए दिखेंगे।
सरकारी योजनाओ के में एक बार जरूर पढ़े
राम लला की नई मूर्ति के बाद पुरानी मूर्तियों का क्या होगा ?
हमारी जानकारी के अनुसार राम मंदिर के गर्भ गृह में रामलला जी की पुरानी मूर्ति को भी नई मूर्ति के साथ ही वहां स्थापित किया जाएगा. नई मूर्ति को अचल मूर्ति कहा जाएगा, जबकि पुरानी मूर्ति उत्सवमूर्ति के तौर पर होगी. श्रीराम से जुड़े सभी उत्सवों में उत्सवमूर्ति को ही शोभायात्रा में विराजमान किया जाएगा. वहीं नई मूर्तियां सदा ही गर्भ गृह में भक्तों के दर्शन के लिए होगी.